असफलता की डगर से सफलता की मंजिल तक


कहते हैं कि कर्म ही सफलता की बुनियाद है। ऐसा कर दिखाया है 27 अप्रैल 2018 को घोषित यूपीएससी 2017 के घोषित परिणामों के सफल प्रतिभागियों ने। किसी ने अपने प्रथम प्रयास में तो किसी ने कुछ असफलताओं के बाद सफलता की मंजिल को आखिरकार छू ही लिया। कड़ी मेहनत, एकाग्रता,बेहतरीन कार्य योजना से प्रतिभागियों ने देश की सबसे प्रतिष्ठित संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज परीक्षा में असफलता को मात दे सफलता का स्वाद चखा।

  आईएएस परीक्षा में कई ऐसे युवाओं ने बाजी मारी है जिन्होंने संसाधनों की कमी को सफलता की डगर में रोड़ा नहीं बनने दिया। यहां बात करते हैं जैसलमेर राजस्थान के देशलदान की जिन्होंने यूपीएससी 2017 की परीक्षा में 82वीं रेंक हासिल कर राजस्थान का नाम पूरे देश में रोशन कर दिया।
  दरअसल आईएएस परीक्षा पास करने वाले देशलदान के पिता कुशलदान की चाय की दुकान है। कुशलदान ने अपने बेटे की पढ़ाई में अपनी आर्थिक स्थित को आड़े नहीं आने दिया। पिता ने कर्ज लेकर देशलदान की पढ़ाई को आगे बढ़ाया। देशलदान चाय की दुकान में पिता का सहयोग करता था साथ में खेती बाड़ी में भी हाथ बंटाता था। कठिन परिश्रम के बल पर देशलदान का भारतीय वन सेवा में चयन हुआ और अब आईएएस परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि अगर मन में दृढ़ संकल्प है तो संसाधनों का अभाव भी सफलता की मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकता है। उनकी सफलता उनके परिवार के साथ पूरे गांव व राजस्थान को गौरवान्वित कर रही है। साथ ही ऐसे युवाओं के लिए प्रेरणा का काम करेंगे जो पैसे की कमी के कारण अपने लक्ष्य का परित्याग कर देते हैं।

  लगातार प्रयत्न करने वालों के सफलता गोद में आकर बैठ जाती है। हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली अनु कुमारी ने बिना कोचिंग के यूपीएससी परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त कर सफलता के नायें आयाम स्थापित किये। अनु कुमारी ने डीयू के हिन्दू कॉलेज से बीएससी आनर्स की डिग्री प्राप्त की इसके बाद आईएमटी नागपुर से एमबीए की डिग्री ली। नौ वर्षो तक एक निजी कंपनी में कार्य किया लेकिन मन में हमेशा आईएएस बनने की तमन्ना थी। इसलिए उन्होंने प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर कड़ी मेहनत के साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहले प्रयास में वह एक नंबर की कमी के कारण असफल हो गयी उस समय केवल डेढ़ महीने उन्होंने तैयारी की थी। उनका एक 4 वर्ष का बेटा भी है जिसे अपने मम्मी पापा के पास छोड़कर पूरी लगन से लक्ष्य को साधा । कहते हैं कि जितना कठिन संघर्ष होगा सफलता भी उतनी ही शानदार होगी। यह सच कर दिखाया एक साधारण परिवार की अनुकुमारी ने।
  यूपीएससी परीक्षा में हैदराबाद के अनुदीप दुरैशेट्टी ने पूरे देश में पहली रेंक हासिल की। दूसरे नंबर पर सोनीपत हरियाणा की अनु कुमारी, सिरसा के सचिन गुप्ता तीसरे स्थान पर रहे। अनुदीप अभी जीएसटी में असिस्टेंट कमिश्नर हैं। अनुदीप ने अपना प्रयास जारी रखा और अपनी मेहनत से पहली रैंक हासिल की।

  नोएडा  सेक्टर 61 के अमोल श्रीवास्तव ने दूसरी बार में सफलता हासिल की तो वहीं नोएडा के श्रेयस सिंह को 266 वीं रेंक मिली है। ग़ाज़ियाबाद के जितेंद्र शर्मा ने 392 वीं और धीरज अग्रवाल ने 423 वीं रेंक हासिल कर सपना साकार किया। जितेंद्र शर्मा ने अपनी सत्तर प्रतिशत तैयारी अपने स्मार्ट फोन से की । जितेंद्र शर्मा पांच वर्ष से दिल्ली के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। समय ना मिलने के कारण उन्होंने अपनी तैयारी स्मार्ट फोन से की। सफलता के लिए साधन से ज्यादा जुनून की आवश्यकता होती है । जितेंद्र शर्मा ने अपने पांचवें प्रयास में सफलता प्राप्त की। ये सबसे बड़ी बात है कि उन्होंने असफलता को ही सफलता का हथियार बना लिया और धैर्य रखकर सफलता के लिए प्रयास किया।
  गुरुग्राम के सचिन ने मारुति से नौकरी छोड़कर यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की । सचिन के पिता किसान है। उत्तर प्रदेश , इलाहाबाद के दाखेर गांव के रहने वाले अनुभव सिंह ने अपने दूसरे प्रयास में पूरे देश में आठवीं रेंक हासिल की । अनुभव सिंह के पिता किसान हैं । अनुभव राजस्व सेवा का प्रशिक्षण ले रहे थे।
  मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर की तपस्या परिहार ने 23 वीं रेंक हासिल कर अपने परिवार का मान बढ़ाया। तपस्या के पिता किसान हैं और उन्होंने तपस्या की पढ़ाई को आगे बढ़ने के लिए बहुत संघर्ष किया लेकिन बेटी के हौसले को पस्त नहीं होने दिया। तपस्या ने पुणे के लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की और अब आईएएस बनकर अपनी सफलता का लोहा मनवाया। उत्तराखंड की अपूर्वा पांडेय ने बिना कोचिंग के ही देश में 39 वीं रेंक हासिल की।
  यूपीएससी परीक्षा में सामान्य वर्ग के 476, ओबीसी के 275, अनुसूचित जाति के 165, अनुसूचित जनजाति के 74 प्रतिभागियों ने सफलता प्राप्त की। वहीं पहली बार 51 अल्पसंख्यकों ने आईएएस परीक्षा पास कर इतिहास रचा। 990 युवाओ ने सफलता प्राप्त की जिसमें 750 पुरुष और 240 महिलाओं हैं।

जिसने असफलता को सफलता का हथियार बना लिया उसे अपनी मंजिल तक पहुंचने से कोई बाधा नहीं रोक सकती है। स्पष्ट उद्देश्य ,सही कार्य योजना, एकाग्रता ,धैर्य सफलता को आपके करीब लाने का कार्य करते है। " परिदों को मंजिल मिलेगी यकीनन, ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं। "वो लोग खामोश रहते हैं अक्सर जमाने में जिनके हुनर बोलते हैं"।।
  असफलता इस बात का उदाहरण है कि सफलता के लिए पूरे मन से प्रयास नहीं किया गया है। अपने कठिन परिश्रम से जिन युवाओं ने सफलता के नये आयाम स्थापित किये हैं उनको बहुत बहुत बधाई। आशा करता हूँ कि अपने जो युवा अपने जीवन में सफलता को प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें ऐसे सफल लोगों से प्रेरणा लेकर सफलता की मंजिल प्राप्त करनी होगी।
" जिंगदी की अभी उड़ान बाकी है, जिंगदी के कई इम्तिहान अभी बाकी हैं।
अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीन, अभी तो सारा आसमान बाकी है" ।।
सादर
राघवेंद्र दुबे

Comments

Popular posts from this blog

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह एक विचारधारा का नाम

महंगाई की मार जनता लाचार

प्रकृति ईश्वर का अनुपम उपहार