Posts

Showing posts from May, 2018

मेरी माँ

Image
उसको नहीं देखा हमने कभी,हमें उसकी जरूरत क्या होगी। मां तेरी सूरत के आगे भगवान की मूरत क्या होगी।। मां शब्द ऐसा है जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता है। हम कह सकते हैं कि मां शब्द से ही सम्पूर्ण ब्रम्हांड परिभाषित है। बच्चा जब मां के गर्भ में होता है तो माँ अपनी अस्थि, मज्जा, रक्त और श्वांस देकर उसको जीवन प्रदान करती है। माँ तमाम कष्टों को सहकर अपने बच्चे को जन्म देती है, बच्चे की खुशी में उसे लगता है जैसे संसार की सारी खुशियां उसके हिस्से में आ गयी हों।   उन सर्द रातों में अपने बच्चे को सूखे में सुलाकर खुद गीले में सो जाती , ऐसी होती है माँ। बच्चे को थोड़ी सी तकलीफ होती तो माँ रात जागकर काट देती ,सुबह का इंतजार करती और डॉक्टर के पास दिखाने के लिए दौड़ती। दवा दिलाती, दुआ भी देती और जब लगता मेरे लाल को किसी की नजर तो नहीं लग गयी , मन को संतुष्टि नहीं होती तो टोना टोटका कर नजर भी उतारती। संसार में सभी ऋणों से मुक्त हुआ जा सकता है लेकिन मां का ऋण कभी नही चुकाया जा सकता।   मां उंगली पकड़कर चलना सिखाती है , जब हमारे कदम लड़खड़ाते हैं तो वो सहारा देकर हमें गिरने से बचा लेती है।" प

आतंकियों और पत्थरबाजों की हमदर्द महबूबा

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती का आतंकियों और पत्थरबाजों के प्रति प्रेम फिर उजागर हो गया है , जब उन्होंने भाजपा की केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि रमजान के महीने में सेना एकतरफा युद्धविराम की घोषणा करे। उन्होंने कहा कि सेना के लगातार एनकाउन्टर, क्रैकडाउन और सर्च ऑपरेशन से आम आदमी को परेशानी हो रही है।   महबूबा मुफ़्ती ने वाजपेयी सरकार का हवाला देते हुए कहा कि 2000 में अटल विहारी वाजपेयी ने एकतरफा यद्धविराम की घोषणा की थी। उन्होंने इसी बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 15 अगस्त को लाल किला की प्राचीर से दिया हुआ भाषण भी याद दिलाया जिसमें उन्होंने कश्मीरियों को गले लगाने की बात कही थी। सवाल ये है कि रमजान के बहाने और आम नागरिकों की परेशानी का हवाला देकर महबूबा मुफ़्ती आतंकियों और पत्थरबाजों को बचाने की कोशिश तो नहीं कर रहीं है। कुछ दिन पहले ही महबूबा ने आतंकियों और पत्थरबाजों को अपना बच्चा कहा था। जब इनकी सोच ही आतंकियों की सोच से मेल खाती है तो जम्मू कश्मीर में हालात कैसे सुधार सकते हैं। रमजान जैसे पाक महीने में क्या आतंकी सेना और आम नागरिकों पर् हमला करना छोड़ देते हैं ?,