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Showing posts from May, 2022

महंगाई की मार जनता लाचार

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इन दिनों महंगाई जिस तेजी से बढ़ रही है उसने आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है। पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, पीएनजी, एलपीजी के लगातार बढ़ते दामों ने लोगों की कमर तोड़ने का काम किया है। पहले आपने देखा होगा कि दुकानों के बाहर और मकानों के बाहर लोग नीबू मिर्च की माला टांग देते थे जिससे अच्छी तरक्की हो और किसी की नजर ना लगे ऐसी मान्यता थी, लेकिन महंगाई की नजर खुद नीबू मिर्च को ही लग गई। नीबू जहां 300 रुपये किलो हो गया वहीं मिर्च भी और तीखी हो गई। अब बेचारा आम आदमी नजर उतारे या घर की नौका को पार उतारे। बेबस और लाचार नजरें कह रही हैं कि सरकार कुछ तो करो अब महंगाई की मार सही नहीं जा रही है।  खाने पीने की सभी चीजें महंगी हो गई है चाहे वह सब्जियां हों या फिर खाद्य तेल। अप्रैल 2022 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) द्वारा जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत की खुदरा महंगाई दर 8 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। खुदरा महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 7.79 फीसदी हो गई है। पिछले चार महीने से यह लगातार बढ़ रही है। जनवरी माह में जहां खुदरा महंगाई दर 6.01 फीसदी थी वहीं फरबरी में 6.07 फीसदी और मार्च में बढ़कर

शस्त्र और शास्त्र के अद्भुत संगम भगवान परशुराम

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भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम का जन्म भृगु वंश में हुआ। पिता का नाम महर्षि जमदग्नि और माता का नाम रेणुका। महर्षि जमदग्नि ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया जिससे प्रसन्न होकर देवराज इंद्र ने वरदान दिया। रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को भगवान परशुराम का जन्म हुआ वह अपनी माता पिता की पांचवीं संतान थे।  जन्म के बाद उनका नामकरण संस्कार किया गया और राम नाम रखा गया। जमदग्नि के पुत्र होने के कारण उन्हें जामदग्नेय तथा भृगु वंश में जन्म लेने के कारण भार्गव नाम से भी जाना गया।  माता रेणुका से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की ततपश्चात महर्षि विश्वामित्र और महर्षि ऋचीक के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की। परशुराम जी की योग्यता से प्रभावित होकर महर्षि ऋचीक ने उन्हें सारंग नामक दिव्य धनुष  एवं महर्षि कश्यप ने वैष्णवी मन्त्र प्रदान किया। भगवान शिव के परम भक्त थे उन्होंने कैलाश पर कठोर तप कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर लिया। भगवान भोलेनाथ ने परशु दिया जिसके कारण उनका नाम परशुराम पड़ा। भगवान परशुराम का जन्म जरूर ब्राम्हण कुल में हुआ लेकिन उन्होंने क्षत्रियोचित व्यवहार कर वर्ण व्यवस्था की उस धारण