प्रकृति ईश्वर का अनुपम उपहार
https://www.blogger.com/dashboard/reading प्रकृति हमारे लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त अनुपम उपहार है। स्वच्छ एवं सुरक्षित पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। प्राचीन समय में मनुष्य प्रकृति के करीब था इसलिए स्वस्थ और प्रसन्न रहता था। आज के परिवेश में देखा जाए तो मनुष्य विलासिता पूर्ण जीवन जीने के लिये प्रकृति से दूर होता चला गया और कृत्रिम वातावरण में घिर गया फलस्वरूप तमाम व्याधियों को आमंत्रित कर लिया। प्रकृति से हमारा कितना प्रगाढ़ सम्बन्ध रहा है इस बात को सहजता से ही समझा जा सकता है। प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वज प्रकृति की पूजा करते आये है । घर में तुलसी लगाना, पीपल, बरगद, आंवला जैसे वृक्षों की पूजा करना जो कि प्राणवायु ऑक्सीजन का प्रचुर मात्रा में उत्सर्जन करते हैं। प्राण वायु ही नहीं अपितु असाध्य रोगों को ठीक करने में पौधों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है।हमने गाय को माता का दर्जा दिया तो वही नदियों में गंगा और यमुना को मां कहा और उनकी आराधना की। हम सूर्य, चन्द्र और पृथ्वी की भी पूजा करते आ रहे हैं। यह हमारा प्रकृति प्रेम ही था । आरामदायक और शान शौकत