महंगाई की मार जनता लाचार

इन दिनों महंगाई जिस तेजी से बढ़ रही है उसने आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है। पेट्रोल, डीजल, सीएनजी, पीएनजी, एलपीजी के लगातार बढ़ते दामों ने लोगों की कमर तोड़ने का काम किया है। पहले आपने देखा होगा कि दुकानों के बाहर और मकानों के बाहर लोग नीबू मिर्च की माला टांग देते थे जिससे अच्छी तरक्की हो और किसी की नजर ना लगे ऐसी मान्यता थी, लेकिन महंगाई की नजर खुद नीबू मिर्च को ही लग गई। नीबू जहां 300 रुपये किलो हो गया वहीं मिर्च भी और तीखी हो गई। अब बेचारा आम आदमी नजर उतारे या घर की नौका को पार उतारे। बेबस और लाचार नजरें कह रही हैं कि सरकार कुछ तो करो अब महंगाई की मार सही नहीं जा रही है।  खाने पीने की सभी चीजें महंगी हो गई है चाहे वह सब्जियां हों या फिर खाद्य तेल। अप्रैल 2022 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) द्वारा जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत की खुदरा महंगाई दर 8 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। खुदरा महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 7.79 फीसदी हो गई है। पिछले चार महीने से यह लगातार बढ़ रही है। जनवरी माह में जहां खुदरा महंगाई दर 6.01 फीसदी थी वहीं फरबरी में 6.07 फीसदी और मार्च में बढ़कर 6.95 फीसदी हो गई। आरबीआई की  अनुमानित खुदरा महंगाई दर की  ऊपरी लिमिट 6 फीसदी के ऊपर ही रही है। अगर बात करें 2021 की तो खुदरा महंगाई दर 4.23 फीसदी थी वहीं 2014 में 8.32 फीसदी थी। 
खाद्य महंगाई दर अप्रैल 2022 में 8.38 फीसदी रही जबकि मार्च में 7.68 फीसदी थी और 2021 में 1.96 फीसदी थी। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि महंगाई लगातार बढ़ रही है और सरकार महंगाई को नियंत्रित करने में असफल रही है।बढ़ती महंगाई के कारण आम जनता की क्रय शक्ति घट रही है। अप्रैल 2022 में  खाद्य तेलों की कीमतों में 17.28 फीसदी का इजाफा हुआ वहीं सब्जियों की कीमतों में 15.41 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। शहरों के मुकाबले गांव की जनता को ज्यादा महंगाई की मार झेलनी पड़ी। अप्रैल 2022 के आंकड़े बताते हैं कि गांव में खुदरा महंगाई दर 8.38 फीसदी रही वहीं शहरों में 7.09 फीसदी रही। खाद्य महंगाई दर गांव में 8.50 फ़ीसदी रही वहीं शहर में 8.09 फीसदी रही। 
खाना बनाने के लिए आवश्यक एलपीजी सिलेंडर 1000 रुपये पर पहुंच गया है जिसे भरवाना आम आदमी के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। पेट्रोल, डीजल के दाम 100 रुपये के ऊपर चल रहे हैं जिसने महंगाई की आग में घी डालने का काम किया है। स्टील, सरिया, सीमेंट सहित निर्माण कार्य में लगने वाले अन्य सामान बहुत महंगे हो रहे हैं जिससे निर्माण कार्य की लागत बहुत बढ़ गई है। 
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने माना है कि लगातार बढ़ती महंगाई से गरीब आदमी की क्रय शक्ति हवा होती जा रही है जबकि इसके उलट वित्त मंत्रालय ने हास्यास्पद बयान दिया है कि अमीर की तुलना में गरीब आदमी पर महंगाई का असर कम पड़ा है। उज्ज्वला योजना के अंतर्गत गरीबों को मुफ्त गैस सिलेंडर दिए गए थे लेकिन एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1000 हो गई है जिसके कारण गरीब आदमी को चूल्हा फूंककर खाना पकाने को मजबूर होना पड़ रहा है। रोजगार के अवसर घट रहे हैं और ऊपर से लगातार बढ़ती महंगाई की मार से आम आदमी की हालत पतली हो गई है। सरकार की चूक के कारण महंगाई लगातार बढ़ रही है और सरकार कुछ नहीं कर पा रही है। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार लुढ़क रहा है , रुपया अपने निम्नतर स्तर 77.50 पर पहुंच गया है। दिसम्बर 2021 की शुरुआत में विदेशी मुद्रा भंडार 636.90 अरब डॉलर था जो 2022 में घटकर 600 अरब डॉलर से कम हो गया है जो कि हमारे लिए चिंता की बात है।
मांग और आपूर्ति में असंतुलन के कारण ही महंगाई बढ़ती है। 
सरकार को महंगाई रोकने के लिए ठोस उपाय करने होंगे। सबसे पहले तो डीजल और पेट्रोल में लगने वाले बेतहाशा टैक्स को कम करना होगा जिससे आम आदमी को राहत मिल सके। डीजल पेट्रोल की क़ीमतों में कमी से माल ढुलाई की कीमतें कम होंगी जिससे अन्य वस्तुओं के दामों में कमी आएगी। ऐसे व्यापारियों पर भी लगाम लगानी होगी जो आपदा में अवसर की तलाश में रहते हैं और जमाखोरी कर आम आदमी के जेब पर डाका डालते हैं। महंगाई जनता पर वार कर रही है अब सरकार का दायित्व है कि महंगाई पर वार करे जैसा कि वह अपने चुनावों में वादा करती रही है।इस महंगाई के दौर में गरीब आदमी को अपने परिवार का भरण पोषण करना बड़ी चुनौती बन गया है। जहां सरषों का तेल 200 रुपये के पास हो, सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हों और आटा की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही हो ऐसे में लाचार ,बेबस आम आदमी करे तो करे क्या।  देश तभी तरक्की करेगा और खुशहाल होगा जब अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की पीड़ा का अहसास सरकार करेगी।
साभार
लेखक
राघवेंद्र दुबे ( स्वतंत्र टिप्पणीकार )

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