अपराधियों से सेटिंग करती यूपी पुलिस का ऑडियो वायरल

एक तरफ तो यूपी पुलिस दनादन एनकाउंटर करने में लगी है लेकिन इसके बावजूद भी अपराधियों में कोई खौफ नजर नहीं आ रहा है। महिला अपराधों से लेकर हत्या, लूट, अपहरण जैसी घटनाओं में लगातार बृद्धि हो रही है। जिससे प्रदेश की जनता में भय का वातावरण कायम है।

झांसी के मऊरानीपुर थाना प्रभारी सुनीत कुमार सिंह और पूर्व ब्लॉक प्रमुख लेखराज का ऑडियो इन दिनों वायरल हो रहा है। जिसमें सुनीत कुमार सिंह एनकाउन्टर से बचने के लिए लेखराज से सेटिंग कर रहे हैं । सुनीत कुमार सिंह पूर्व ब्लॉक प्रमुख लेखराज से कहता है कि आपके ऊपर 60 मुकदमें हैं और आप एनकाउंटर के सबसे फिट केस हैं पूरी यूपी में। आप सोच लीजिए अब भाजपा सरकार है । अब आपकी मदद कौन करेगापके 4 लड़के हैं आप समझ नहीं पा रहे हैं। जितने गुर्गे हैं 20-50 आप समझ नहीं पा रहे हैं। दो मिनट में मार देंगे पट पट। अब सरकार में सिस्टम को देखते हुए काम करिए।
इधर लेखराज कहता है कि मदद करो यार , मदद करो।
सुनीत कुमार कहते है कि मेरी मजबूरी समझिए , मैंने आपको बता दिया है। आप भाजपा जिलाध्यक्ष संजय दुबे और बबीना विधायक राजीव सिंह परीछा से सेटिंग कर लें तो जान बच सकती है। लेखराज फिर कहता है कि मदद करो। थाना प्रभारी कहता है कि हम तो फोन पर बात कर रहे हैं। लेखराज कहता है कि हम तो तुम्हारी जिंदगी भर मदद नहीं कर पाएंगे लेकिन तुम तो करो ,नाती नता वाले हैं। सुनीत कुमार सिंह ने कहा कि हम तो मदद करना चाहते हैं इसलिए तुम्हारे यहां दबिश में खाली हाथ सुबह सुबह गए थे। सुनीत कुमार कहता है कि अगला नंबर आपका है । आपकी लोकेशन ट्रेश हो रही है। दस बीश पचास जो लोग तुम्हारे साथ ....। लेखराज - सब मारे जाएंगे ?।
दरअसल बीजेपी पार्षद प्रदीप गुप्ता द्वारा लेखराज के खिलाफ रंगदारी का मामला दर्ज कराया गया था। जिसमें एनकाउंटर से बचने के लिए सेटिंग करती पुलिस नजर आ रही है। सत्ता के दबाव में पुलिस कैसे एनकाउंटर का खेल खेल रही है ये वायरल ऑडियो उस हकीकत को बयां करने के लिए काफी है।

    हालांकि डीजीपी ने मामले का संज्ञान लेते हुए थाना प्रभारी सुनीत कुमार को बर्खास्त कर दिया है।
    दूसरा मामला है देवरिया का जहां एसओजी टीम का सिपाही अभियुक्त को बचाने की एवज में आरोपी के परिचित से रुपयों की मांग करता है। यह मामला 16 मार्च 2018 का है जो भाजपा णेता नरेंद्र मिश्र के भतीजे अमित मिश्रा की हत्या से जुड़ा है। आरोपी पंकज तिवारी के परिचित और एसओजी के सिपाही के बीच हुई बातचीत का ऑडियो वायरल हो गया और अमित मिश्रा के परिजनों तक पहुंच गया।
  आरोपी का परिचित कहता है कि पंकज को फसाया गया है ,उसका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है।  उधर पुलिस कर्मी भी पंकज को बचाने के लिए मदद का पूरा भरोसा देता है। हालांकि फोन पर बात करने के लिए सावधान भी करता है। पीड़ित परिवार का कहना है कि आरोपी को बचाने के लिए पुलिस डील कर रही है।  उधर देवरिया के एसपी रोहन पी का कहना है कि ये ऑडियो आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले का है।

पुलिस के अनुसार अमित मिश्रा प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता था और पैसों के लेनदेन में उसकी हत्या उसके कारोबार में शामिल मित्रों ने की थी।
जब कोई अपराध होता है तो लोग न्याय पाने के लिए पुलिस का सहारा लेते है लेकिन अगर पुलिस के लोग ही अपराधियों से सांठ गांठ करेंगे तो उन्हें न्याय कहाँ मिलेगा। यह कोई पहला मामला नहीं है जहां अपराधियों और पुलिस की मिलीभगत की बात सामने आई हो इससे पहले भी कई मामलों में पुलिस का दागदार चेहरा सामने आ चुका है। कई फर्जी एनकाउंटर भी मानवाधिकार आयोग के सामने  आ चुके है। हालांकि ये बात भी सच है कि पुलिस विभाग बहुत से ईमानदार अधिकारी भी है जिनसे न्याय की आस कभी नहीं टूटती है। अब समय आ गया है जब पूरे सिस्टम को सुधारने की आवश्यकता है।

सादर
राघवेंद्र दुबे

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