न्याय के लिए संघर्ष

उन्नाव गैंगरेप मामले में पीड़ित लड़की के पिता की मौत 9 अप्रैल 2018 को पुलिस हिरासत में हो गयी थी। अब उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गयी जो बेहद हैरान कर देने वाली है। मृतक के शरीर पर 14 जगह चोट के गंभीर निशान थे। जिसमें उसके कंधे की हड्डी टूट गयी थी,आंख,गर्दन,पीठ पर जख्म के गहरे निशान,पसलियां टूटी हुई, जांघ में चोट के निशान, पैरों की खाल उधड़ी हुई । ये पोस्टमार्टम रिपोर्ट खुद जुल्म की दास्तां को बयां कर रही है। पीड़ित लड़की का रो रोकर बुरा हाल है उसका कहना है कि दोषी विधायक को फांसी दो नहीं तो वह मर जाएगी।इन लोगों ने मेरे पिता को मार डाला। मेरा जीवन बर्बाद कर दिया।

पीड़ित लड़की के पिता का एक अंतिम वीडियो आया है जिसमें उसने जुल्म की दास्तां को स्वयं बयां किया है।उसने बताया कि मुझे भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सिंह एवं उनके साथी डंडों से ,रायफल की बटों से बुरी तरह से पीटते रहे। इस दौरान पुलिस तमाशा देखती रही ,उसने मुझे बचाया नहीं ।और जब में अधमरा होकर बेहोश हो गया तब मुझे अस्पताल ले जाया गया। पिता की आप बीती सुनकर और उसकी वीडियो में पूरे शरीर में गंभीर जख्मों के निशान देखकर आप की रूह कांप जाएगी।
अस्पताल में जब पीड़ित का पिता जब बेसुध पड़ा था तब पुलिस की मौजूदगी में उसके अंगूठे के निशान  सफेद पेपरों में लगवा लिए गए जो कि संदेहास्पद है। अस्पताल से फिर थाने ले जाया गया।
दरअसल उन्नाव उत्तरप्रदेश के माँखी गाँव की रहने वाली लड़की ने भाजपा विधायक कुलदीप सिंह और उनके साथियों पर 4 जून 2017 को रात 8 बजे उसके साथ गैंगरेप करने का आरोप लगाया है। एक वर्ष तक दर दर भटकने के बाद भी कहीं सुनवाई नहीं हुई तब जाकर कोर्ट की शरण में जाना पड़ा।
  इधर एक और बातचीत की रिकॉर्डिंग वाइरल हुई है जिसमे विधायक पीड़ित के चाचा को धमका रहे हैं । उन्होंने कहा कि सब चाहते हैं तुम सब मर जाओ, लेकिन तुम मेरे भाई हो। आओ मिलकर बैठते हैं और पिछले सब भूल जाओ। पीड़ित के चाचा ने आरोप लगाया कि सरकार विधायक को बचा रही है।
  पोस्टमार्टम रिपोर्ट कहा गया है कि शरीर के अंदर के अंगों के फट जाने व आंतरिक हिस्सों में खून बहने से मौत हुई है। पीड़िता और उसके परिजनों का बार बार विधायक के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए लिखा गया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई और विधायक का नाम एफआईआर में दर्ज तक नहीं है। ये है कानून का राज्य। बुधवार 11अप्रैल को एसआईटी की टीम जांच करने माँखी गांव पहुंची। एसआईटी टीम का कहना है दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
  अब सवाल ये उठता है कि जब पीड़िता का पिता गंभीर रूप से घायल था तो उसका सही से उपचार क्यों नहीं किया गया। दूसरा अतुल सिंह और उसके साथियों द्वारा बेरहमी से पीटने के बाद उसे ही गिरफ्तार क्यों किया गया। ये सवाल ऐसे हैं जिसका जबाब सरकार को और पुलिस प्रशासन को देने ही पड़ेंगे।
  निर्भय कांड के बाद कानून में संशोधन किया गया कि अगर कोई महिला यौन शोषण को लेकर कोई शिकायत करती है तो तुरंत एफआईआर दर्ज करनी होगी। दूसरा महिला का बयान महिला इंस्पेक्टर या उससे ऊपर रेंक की अधिकारी दर्ज कर सकती है। तीसरा उसका चिकित्सीय परीक्षण महिला डॉक्टर करे और यह सब शिकायत के 48 घंटे के अंदर हो। अगर ऐसा नहीं होता है तो कारण लिखकर देना होता है।
  अब सवाल ये है कि कानून संशोधन में यह नियम बनाये गए हैं फिर किस दबाव में एफआईआर दर्ज नहीं हुई। पुलिस को अधिकार है कि वो एफआईआर दर्ज करे और अगर उसको लगता है कि मामला झूठा है और ट्रायल लाइक नहीं है तो वह बाद में क्लोजर रिपोर्ट भी लगा सकती है। लेकिन पुलिस तो शायद पूरी तरह से विधायक जी को बचाने के इरादे में है तभी तो लगातार हीलाहवाली की गई। बेटी बचाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार कब दोषियों पर कार्यवाही करेगी। 
विधायक की पत्नी बुधवार 11 अप्रैल को डीजीपी उत्तर प्रदेश से मिली। उन्होंने कहा कि लड़की झूठ बोल रही है ,उनके पति बेकसूर हैं। उन्होंने दोनों के नार्को टेस्ट की बात भी कही।


ये कैसा रामराज्य है जहां जुल्म की इंतिहा से बेटी के लिए इंसाफ मांगने वाला पिता पुलिस की मौजूदगी में पीट पीट कर मार दिया जाता है। ये कैसा कानून है जहां पीट पीट कर अधमरे कर दिए गए पीड़ित को ही गिरफ्तार कर लिया जाता है। अगर हमारे यहां मौत के बाद ही न्याय देने की बात कही जाए तो ये कैसा प्रजातंत्र है। यह प्रकरण हमारे सिस्टम को आइना दिखाने के लिए काफी है।


सरकार के साथ पुलिस की कार्य प्रणाली पर भी गंभीर प्रश्न चिन्ह लग गया है। शायद इसीलिए हाइकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेते हुए सरकार के महाधिवक्ता को इस केस में बहस के लिए बुलाया है वहीं सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। ये तो कोर्ट निर्णय करेगा कि दोषी कौन है लेकिन इसके लिए सत्ता की बेड़ियों में जकड़ा तंत्र दोषी जरूर है जहां न्याय पाने के लिए प्राणों की आहुति पीड़िता के पिता को देनी पड़ी।



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